Friday, December 12, 2014

“Be a part of Bal Bhavan team”

                         // कला जीवनस्य सौंदर्यम //
“Be a part of Bal Bhavan team”






Respected Madam / Sir ………………


Bal Bhavan a creativity resource centre for children, in the age group of 5 – 16 years,  and here they pursue a myriad of activities like Creative Art, Creative Performance, Science Activities, Photography, Literary Activities, Integrated Activities (including traditional folk arts), Physical education (Indoor & Outdoor Games), Museum Techniques, Home Management etc. It also runs a training centre for teachers & teacher trainees.
We are looking out for people who hold welfare of children and their overall development close to their heart and wish to render voluntary service for this noble cause and contribute in reaching out with Bal Bhavan activities to a larger section of society. If you are such a person and willing to be a part of Bal Bhavan team, you are invited to apply for the same in
the attached form and e-mail to :- balbhavanjbp@gmail.com or girishbillore@gmail.com


FORM
1. Name
2. D.O.B.
3. Academic Qualification
4. Address of correspondence and Phone Number.
.........................................................................................................................................
......................................................................................................................................
5. Additional Qualification (if any) in the field of Visual Arts/ Performing Arts/ Creative- Writing, Teacher Training, teaching, Scientific activities, Physical Education, Home Management etc.
6. If pursued any creative activities in college/school level indicate the same and attach
relevant certificates (if any)
7. Present Status
i) Student (School)
ii) College Student
iii) Retired Officer
iv) Any other ..........
8. My contribution as a Volunteer would be { 250 aprox }
9. How many hours and how frequently you can associate with Bal Bhavan activities?

 { 250 aprox }

Saturday, September 27, 2014

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा रोकने हुआ सीधा संवाद

संभागायुक्त श्री दीपक खांडेकरआई.जी. महिला सेल श्रीमति प्रग्यारिचा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में महिला सशक्तिकरण विभाग एवम पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में  “सीधा :संवादकार्यक्रम का आयोजन किया गया . दो सोपान में आयोजित  इस कार्यक्रम में बोलते हुए संभागीय आयुक्त श्री  दीपक खांडेकर ने कहा –“ दिन प्रतिदिन विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं कीभागीदारी बढ़ रही है ।  ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि जहां पर महिलाएं जा रही हैं  काम कर रही हैंवे स्थल चाहे शासकीय हों अथवा अशासकीय हों या निजी होंकार्य करने की दृष्टि से पूरी तरह सुरक्षित हों,जिससे महिलाएं बिना किसी झिझक के कार्य कर सकें या कार्य करवा सकें । उनमें असुरक्षा की भावना नरहे ।  किसी भी प्रकार से उनका लैंगिक उत्पीड़न न हो । महिलाओं के कार्य करने के स्थल सुरक्षित औरसुविधाजनक हो । यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो समानता की बात करना बेमानी होगी ।  देश की संसद ने इसके लिए वर्ष 2013 में कार्य स्थल पर सुरक्षा को लेकर लैंगिक उत्पीड़न निवारणप्रतिषेध एवं प्रतितोषणअधिनियम बनाया है । इस अधिनियम में महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।  कार्यालय या किसी भी कार्य स्थल पर कार्यालय या संस्था प्रमुख की जवाबदेही होगी कि कार्य स्थल परसुरक्षित कार्य का वातावरण उपलब्ध करायें । कार्य स्थल के लोगों को इसके प्रति जागरूक बनाया जाये । अपने कार्यालय में एक समिति गठित करें जो इस प्रकार के मामलों की मानीटरिंग करे और कार्यवाही करे। कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक डी. श्रीनिवास राव ने कहा कि कार्य स्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए बनाये गये अधिनियम में जो प्रावधान किए गए हैं उनका सभी संभागीयएवं जिलों के कार्यालयों में पालन हो ।  महिलाओं के लिए कार्य स्थल पर एक सुरक्षित वातावरण दिया जाए ।  जिससे वे गरिमा और सम्मान के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें ।  उनके अंदर कभी भीअसुरक्षा की भावना न आए । यदि कोई कर्मचारी या सहकर्मी प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही हो ।
पुलिस महानिरीक्षक (महिला अपराध) श्रीमती प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने कहा –“समाज की 50% प्रतिशत आबादी महिलाओं की है ।  इस आधी आबादी को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराना होगा । सुरक्षित वातावरण में ही समाज के निर्माण में यह अपना योगदान दे पायेगी । यदि हम वास्तव में चाहते हैंकि महिलाएं आगे आयें तो उन्हें कार्य स्थल पर बेहतर वातावरण मुहैया कराना होगा । कार्यशाला में अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया ।
लैंगिक उत्पीड़न में शारीरिक सम्पर्कलैंगिक स्वीकृति के लिए कोई मांग या अनुरोधलैंगिक  टिप्पणी करनाअश्लील साहित्य दिखानालैंगिक प्रकृति का कोई अन्य निंदनीयशारीरिकशाब्दिक या गैरशाब्दिक आचरण करना शामिल है ।  इसी प्रकार कार्य स्थल की व्याख्या इस प्रकार बताई गई – ऐसा कोई विभाग,संगठन उपक्रमस्थापनउद्यमसंस्थाकार्यालयशाखा या यूनिटगैर सरकारी संगठनकोई प्राइवेट सेक्टरसोसाइटीन्यासअस्पतालप्रशिक्षणकोई खेलकूद संस्थानकोई निवास गृह या कोईअन्य गृह । नियोजन से आशय है उसके प्रक्रम के दौरान कर्मचारी द्वारा भ्रमण किया गया कोई स्थान एवंउपलब्ध कराया गया परिवहन भी है ।
कार्यशाला के द्वितीय सोपान में टाक शो का समावेश बेहद प्रभावी रहा जिसमें श्री अमृतलाल वेगड, श्री रवींद्र बाजपेई, महिला मुद्दों पर विशेषरूप से आदिवासी दलित महिलाओं के लिये कार्य करने वाली  सामाजिक कार्यकर्ता दया मां (हर्रई) , श्री मनीष दत्त, श्रीमति उपमा राय, फ़िलम अभिनेता श्री आशुतोष राणामनोवैज्ञानिक श्रीमती जैन(सागर), अपराध शास्त्र विशेषज्ञ राजू टंडन,स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.रूपलेखा चौहान ने तीन पीढियों से सीधा संवाद किया. युवा, प्रौढ़, वयोवृद्ध जनों से हुई बातचीत में अंतत: एक सारभूत तत्व सामने आया कि "महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते जा रहे संत्राष का मूल आधार समकालीन  सामजिक परिस्थितियां हैं. ज़रूरत है आत्मअंवेषण की"
  सिने कलाकर आशुतोष राणा ने अपने वक्तव्य एवम पूछे गये सवालों के ज़वाब आद्यात्मिक आधार पर दिये, जबकि अमृतलाल वेगड़ ने नारी के सशक्त स्वरूप की व्याख्या करते हुए रोचक शैली में कहा कि- "समकालीन परिस्थियां तुरंत वैचारिक रूप से संवेदित  होने एवं आत्मचिंतन करने के लिये प्रेरित कर रहीं हैं.. "
   वरिष्ट पत्रकार श्री रवींद्र वाजपेई ने सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण से महिलाओं के विरुद्ध हो रही हिंसा लैंगिक अपराधों को रोकने का कारगर एवं प्रभावी तरीक़ा निरूपित किया. 
   दया मां ने महिलाओं को उनके अधिकारों मौज़ूदा क़ानूनों की जानकारी मुहैया कराने पर बल दिया. 
डा. रूपलेखा चौहान ने कहा कि- "सामाजिक सोच में परिवर्तन लाए बिना न तो भ्रूण हत्याएं रोकी जा सकेंगी और न ही महिलाओं के खिलाफ़ होती घटनाओं को रोका जा सकता है"  
     एड. मनीष दत्त ने मौज़ूदा कानूनों का ज़िक्र करते हुए महिलाओं को स्वयं तत्परता के लिये प्रेरित किया.   

       इस अवसर पर श्री मनु श्रीवास्तव, सी एम डी विद्युत-वितरण कम्पनी,  पुलिस महक़मे के अधिकारी गण,  संयुक्त-संचालक महिला बाल विकास श्री हरिकृष्ण शर्मा, संभागीय उपसंचालक महिला सशक्तिकरण  श्रीमति शालिनी तिवारी सहित  जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी, संरक्षण अधिकारीयों एवं  संभाग के विभिन्न जिलों से आए स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि , विभिन्न विभागों के अधिकारीगण, महिलाओं के लिये कार्य करने वाले विचारक एवं एक्टिविष्ट, मीडिया से जुड़े प्रतिनिधि, किशोर बालक बालिकाएं,  वयो वृद्ध जन विषेश रूप से आमंत्रित थे


Thursday, August 21, 2014

स्नेह शिविर सीहोर Part 1



एकीकृत बाल विकास सेवा मध्य-प्रदेश द्वारा चलाए गए अभिनव प्रयासों की सर्वत्र सराहना की जा रही है.  यह वीडियो डाक्यूमेंट्री फ़िल्म  इस बात की पुष्टी करती है. डाक्यूमेंट्री के दूसरे भाग को देखने के लिये यहां क्लिक कीजिये
 स्नेह शिविर सीहोर  Part 2
अथवा इसे खोज बार में कापी पेस्ट कीजिये
=> https://www.youtube.com/watch?v=4HeXSwlKJBc

Tuesday, June 17, 2014

अपने-अपने दिवस...

मित्रो अपने यहाँ पूरे वर्ष भर उत्सव मना ने की सनातनी परम्परा रही है और साल में जीवन -मरण मात्र को स्मरण कर इकठ्ठा होने वाले मेकाले पुत्रो ने  हमारी इस उत्सवधर्मिता की खूब हँसी उड़ाई ....हमें ना-ना प्रकार के विभुष्णो से अलंकृत किया गया   !!!!....वे  साल भर में जब -तब अमुक डे-फलं। डे मना डालते और शेष दिनों में खालिश व्यक्तिवादिता के नशे  में" डे आयोजन" के संज्ञा-सर्वनाम के विशेषण को लतियाते रहते....?????
     लतभनजन की धुन में उन्हें हमारी दिन- प्रतिदिन की गम्मत से भारी चिड होती थी और अपनी  इस झेप को मिटाने के लिए उन्होंने कुछ तथाकथित प्रेरणादायी दिवसों को इजाद कर डाला......वेलेंटाआईं न डे ,मदर डे .....आदि -आदि ....गोया कि  एक दिन दुकान  लगाओ ...बेचो ...खाओ और अगले दिन दूसरा शिकार देखो .....???...इन गोरो ने दुनिया भर की प्राकर्तिक संपदा  को जी भर लूटा और तथाकथित  विकसित कंट्री की स्यंभू डिग्री तानकर शेष दुनिया को विकाशशील बनाए रखने के ब्रांहणवाद के चलते पर्यावरण संरक्षण की दुहाई शुरू कर दी ....!!!!...दुहाई भी ऐसी कि ...हज करती बिल्ली भी शरमा जाये ....सो एक पर्यावरण दिवस को ईजाद  करके ...दिन भर.. ग्रीन हाउस का ठीकरा गरीबो पर फोड़कर साल भर की एनओसी अपने पाकिट मे रखने का वन डे टूर्नामेंट चालू आहे ....!!!...मित्रो ऐसी ही दुर्गति भाई लोग ....वृद्धाश्रम खोलकर फादर की करते आ रहे थे ...सो  ...लगे हाथ फादर डे का तम्बू भी उसी 
पर्यावरण दिवस को तान दिया ...!!!...प्रकति रूपी माँ और फादर का एसा विकट मट्टीप्लीती मिला जुला  संस्करन ...इनही मायावियों की देन है !!   
        इन मायावियों के चमत्कार को अपने यहा भी  सुधिजन खूब नमस्कार करने मे जूटे रहे ....पर सुधिजन इस  घनचक्कर मे ये भूल गए कि...हमारी तिरकाल संध्या मे तो देव स्वरूप मात -पिता का दिन -प्रति दिन का सुमरण पूर्वजो के काल से होता आ रहा है ....!!!...हम अपनी  चाल भूलकर ...एक ही दिन मे पर्यावरण रूपी   माँ और फादर यानि पिता को स्मरण करने के  स्वांग मे 364 दिन ही  नहीं   बल्कि पूरी सनातनी गौरव गाथा का बंटाढार करने पर क्यो उत्तारू है .....????












                                                                                                                                                   

Wednesday, December 18, 2013

साल तेरा -मेरा

साल तेरा……  भई  छुट्टी की बेरा……  बुंदेली  मस्ती में ये गुनगुनाहट……  कुछ को भनभनाहट लग रही होगी ??? …… पर गुनगुनाहट और भनभनाहट दोनों में ....... जिन्हे हम   भूलना चाहे वो अक्सर याद आते है…… का तराना .......  बढ़ती ठण्ड में गर्माहट घोल रहा है !!!…भला लगातार ६ सीरीज जीतने की  गुनगुनाहट  को केसे रोकेंगे यह दीगर है कि  जाते -जाते परदेश में बढ़िया  सलामी हो रही है …!!!....  आपको अपनी जीत  की गुनगुनाहट का पूरा हक़ है भले ही आखिर  में उनके  जोक बन  रहे हैं …… !!!… निर्भयता की गुनगुनाहट को जाते-जाते कितनो ने हल्का कर दिया....   हल्केपन की दरारे  चौखाम्भो  से भनभना  रही है ???  तोता -मेना की कहानी के कितने फ़साने हुए पर हमारी बिल्ली के हमी से मियाऊ का अफसाना  भूले से भी नहीं भूलता…   !!!                                                                                                                                                          भूल -भुलैया के  दीदारे  आम  में  सूबाई खदबदाहट को कौन भूलेगा…भूलना तो दूर अगले साल की धुप्पल में सब एक दूसरे   की  धुलाई  का दावा थोक रहे है. …धुलाई  कोई खेल नहीं धुलना भी एक कला है  इसे  भी हमने  खेलो  में जाना ???…और हां विदेशी एयरपोर्टो पर   इस  धुलाई का कोई असर नहीं  उनकी तलाशी  की गंदगी कोई याद नहीं करना चाहेगा पर अभी जो अकड़ हम दिखा रहे है उसकी कायमी पर गुनगुनाहट टिकी है ।                                                                                                                                                     इस गुनगुनाहट में २००से ३०० करोड़ी बनने की गर्माहट बॉक्स ऑफिस में दिखी तो धोखाधड़ी के असल किस्से भी बम्बइया पुत्त रो को कोर्ट खींच लाये !!!आतंक के साये की भनभनाहट का विकृत रूप दरभा से लेकर एलओ सी तक दुश्मनी बरपाता रहा ?? ……  समय बड़ा वलवान है.…… सो साल तेरा को भी कहना पड़ेगा…  मेने देखा -तुमने देखा -सबने देखा एक दुश्मन जो दोस्तों से भी प्यारा है…!!!

Saturday, June 8, 2013

मिक्सिंग-मिक्सिंग

  शाम के धुधंल्के में  रेस टीम करते बच्चों के धमाचौकडी के बीच अचानक मिक्सिंग-मिक्सिंग की  आवाजों से गली में   शोर  मच गया ...!!!...संडे  फिल्म के डिश.. टर्ब से अपना एंटीना भी घूमा..???..आखिर टीवी के एकाधिकार से सुनी हो चुकी गलियों में शोर कैसे ..???..बच्चों के गलियों में खेलने की ब्रेकिंग न्यूज़ बनने की आशंका और उस पर खबरियो की मुहल्ले खरोंचने की जबरिया कुश्ती के डर को भांप कर कुडकुडाते हुए बाहर भागा.....तू संत है ...तू सिंग है ..तू चंडाल है .....इतने सारे श्रीमुखो के मंगलाचरण के राज जाने बिना वापिस ब्लाकबस्टर दर्शन मुश्किल था ...सो उनकेबीच कूद पड़ा...|                                                                        
                                                                बन्दर कूदनी के बीच कुछ सियाने बच्चे मेरे कुछ पूछने के पहले ही फुदकने लगे ..अँकल-अँकल ये देखिये ..उसकी दाम थी ..लेकिन वो दोनों मिलकर हमें ही पदा रहे है ....वो पहले ही बता देता है की हम कहा छुपे है .....ये तो रोंटियाई है....चोट्टीआई  है ...??? मेने कहा भैऊ कोन सी बोली है ...??? ..अरे आप समझे नहीं ..अकेले क्रिकेट में नहीं ..यहाँ भी खेल होता  है ....???.. मैं  घबराने लगा इस बचपने को लेकर चैनल लाइव प्रसारण कर कही बच्चो के मुख में क्रिकितिया फिक्सिंग को रेस टीम न जोड़ दे और प्राइमटाइम के खेवनहार बालमन  की चंचलता को लेकर फिक्सिंग की जायजिता को न टटोलने लगे ...!!!!
                                                                               इधर मुझे कबाव में हड्डी की तरह टटोलते हुए मन के सच्चे बच्चे सुरु हो लिए ...अंकल ..अब  आप ही बताईये हम उधम न करे तो क्या करे ...???... बाप दादाओ के खेल वैसे ही हमारी गलियों से  विदा ले चुके है ..हमे स्पोंसर करना तो दूर उलटे ट्युशन -होमवर्क के नाम  पर हडकाते है ... कोई गिल्ली डंडा तक नहीं देता ...हमारे प्रशारण अधिकारों  की   बोली  मम्मी -पापा की टेर के रूप में दिखती है ...हमें रुपया -धेला नहीं ..बचपन चाहिए ...आप ने टांग क्यों मारी हम अपनी मिक्सिंग सुलटा लेंगे ...ये फिक्सिनिंग नहीं जो भाई लोगो के बिना न सुलझे,,,,???                                                                
                                      आखिरकार   बच्चो ने       फिक्सिंग और मिक्सिंग के  मायने समझा दिए थे ..एक में पैसा है तो दूसरे में बचपन है ..एक में ठगी है तो दूसरे में माखन चोरी है ...एक में डंडा है तो दूसरे में फंडा है ..एक में अय्याशी है तो दूसरे में गृहस्थी  है ..एक में डान है तो दूसरे में सुदामा है ..एक में अंडरवर्ल्ड है तो दूसरे में भारत है ...!!!...भाया ..गिल्ली डंडे ...कबड्डी ....रेस टीम ..खो-खो ..की  रोन्टइयाई  की निश्चलता में ही भारत है और किरकिटिया फिक्सिंग में इंडिया है ....!!!!   तय आपको ही करना है       बच्चो को  फिक्सिंग -फिक्सिंग  सिखाएं;;;;या मिक्सिंग-मिक्सिंग खेलने दें;;;;;;;;;;;;????