शाम के धुधंल्के में रेस टीम करते बच्चों के धमाचौकडी के बीच अचानक मिक्सिंग-मिक्सिंग की आवाजों से गली में शोर मच गया ...!!!...संडे फिल्म के डिश.. टर्ब से अपना एंटीना भी घूमा..???..आखिर टीवी के एकाधिकार से सुनी हो चुकी गलियों में शोर कैसे ..???..बच्चों के गलियों में खेलने की ब्रेकिंग न्यूज़ बनने की आशंका और उस पर खबरियो की मुहल्ले खरोंचने की जबरिया कुश्ती के डर को भांप कर कुडकुडाते हुए बाहर भागा.....तू संत है ...तू सिंग है ..तू चंडाल है .....इतने सारे श्रीमुखो के मंगलाचरण के राज जाने बिना वापिस ब्लाकबस्टर दर्शन मुश्किल था ...सो उनकेबीच कूद पड़ा...|
बन्दर कूदनी के बीच कुछ सियाने बच्चे मेरे कुछ पूछने के पहले ही फुदकने लगे ..अँकल-अँकल ये देखिये ..उसकी दाम थी ..लेकिन वो दोनों मिलकर हमें ही पदा रहे है ....वो पहले ही बता देता है की हम कहा छुपे है .....ये तो रोंटियाई है....चोट्टीआई है ...??? मेने कहा भैऊ कोन सी बोली है ...??? ..अरे आप समझे नहीं ..अकेले क्रिकेट में नहीं ..यहाँ भी खेल होता है ....???.. मैं घबराने लगा इस बचपने को लेकर चैनल लाइव प्रसारण कर कही बच्चो के मुख में क्रिकितिया फिक्सिंग को रेस टीम न जोड़ दे और प्राइमटाइम के खेवनहार बालमन की चंचलता को लेकर फिक्सिंग की जायजिता को न टटोलने लगे ...!!!!
इधर मुझे कबाव में हड्डी की तरह टटोलते हुए मन के सच्चे बच्चे सुरु हो लिए ...अंकल ..अब आप ही बताईये हम उधम न करे तो क्या करे ...???... बाप दादाओ के खेल वैसे ही हमारी गलियों से विदा ले चुके है ..हमे स्पोंसर करना तो दूर उलटे ट्युशन -होमवर्क के नाम पर हडकाते है ... कोई गिल्ली डंडा तक नहीं देता ...हमारे प्रशारण अधिकारों की बोली मम्मी -पापा की टेर के रूप में दिखती है ...हमें रुपया -धेला नहीं ..बचपन चाहिए ...आप ने टांग क्यों मारी हम अपनी मिक्सिंग सुलटा लेंगे ...ये फिक्सिनिंग नहीं जो भाई लोगो के बिना न सुलझे,,,,???
आखिरकार बच्चो ने फिक्सिंग और मिक्सिंग के मायने समझा दिए थे ..एक में पैसा है तो दूसरे में बचपन है ..एक में ठगी है तो दूसरे में माखन चोरी है ...एक में डंडा है तो दूसरे में फंडा है ..एक में अय्याशी है तो दूसरे में गृहस्थी है ..एक में डान है तो दूसरे में सुदामा है ..एक में अंडरवर्ल्ड है तो दूसरे में भारत है ...!!!...भाया ..गिल्ली डंडे ...कबड्डी ....रेस टीम ..खो-खो ..की रोन्टइयाई की निश्चलता में ही भारत है और किरकिटिया फिक्सिंग में इंडिया है ....!!!! तय आपको ही करना है बच्चो को फिक्सिंग -फिक्सिंग सिखाएं;;;;या मिक्सिंग-मिक्सिंग खेलने दें;;;;;;;;;;;;????
बन्दर कूदनी के बीच कुछ सियाने बच्चे मेरे कुछ पूछने के पहले ही फुदकने लगे ..अँकल-अँकल ये देखिये ..उसकी दाम थी ..लेकिन वो दोनों मिलकर हमें ही पदा रहे है ....वो पहले ही बता देता है की हम कहा छुपे है .....ये तो रोंटियाई है....चोट्टीआई है ...??? मेने कहा भैऊ कोन सी बोली है ...??? ..अरे आप समझे नहीं ..अकेले क्रिकेट में नहीं ..यहाँ भी खेल होता है ....???.. मैं घबराने लगा इस बचपने को लेकर चैनल लाइव प्रसारण कर कही बच्चो के मुख में क्रिकितिया फिक्सिंग को रेस टीम न जोड़ दे और प्राइमटाइम के खेवनहार बालमन की चंचलता को लेकर फिक्सिंग की जायजिता को न टटोलने लगे ...!!!!
इधर मुझे कबाव में हड्डी की तरह टटोलते हुए मन के सच्चे बच्चे सुरु हो लिए ...अंकल ..अब आप ही बताईये हम उधम न करे तो क्या करे ...???... बाप दादाओ के खेल वैसे ही हमारी गलियों से विदा ले चुके है ..हमे स्पोंसर करना तो दूर उलटे ट्युशन -होमवर्क के नाम पर हडकाते है ... कोई गिल्ली डंडा तक नहीं देता ...हमारे प्रशारण अधिकारों की बोली मम्मी -पापा की टेर के रूप में दिखती है ...हमें रुपया -धेला नहीं ..बचपन चाहिए ...आप ने टांग क्यों मारी हम अपनी मिक्सिंग सुलटा लेंगे ...ये फिक्सिनिंग नहीं जो भाई लोगो के बिना न सुलझे,,,,???
आखिरकार बच्चो ने फिक्सिंग और मिक्सिंग के मायने समझा दिए थे ..एक में पैसा है तो दूसरे में बचपन है ..एक में ठगी है तो दूसरे में माखन चोरी है ...एक में डंडा है तो दूसरे में फंडा है ..एक में अय्याशी है तो दूसरे में गृहस्थी है ..एक में डान है तो दूसरे में सुदामा है ..एक में अंडरवर्ल्ड है तो दूसरे में भारत है ...!!!...भाया ..गिल्ली डंडे ...कबड्डी ....रेस टीम ..खो-खो ..की रोन्टइयाई की निश्चलता में ही भारत है और किरकिटिया फिक्सिंग में इंडिया है ....!!!! तय आपको ही करना है बच्चो को फिक्सिंग -फिक्सिंग सिखाएं;;;;या मिक्सिंग-मिक्सिंग खेलने दें;;;;;;;;;;;;????
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