मित्रो, बड़ी पुरानी कहावत है.... तेल देखो -तेल की धार देखो ...समय की धारा में कितना भी तेल क्यों न बह गया हो ..पर कहावत बरकरार है ..इसलिए तो कहावत है ..!!!...प्राचीनतम काल में तेल भरी नाव में मुर्दों को सुरक्षित रखा जाता था ..अब तेल के खेल में जिन्दा ...मुर्दे हुए जा रहे है ...खबरिया चैनल ..मारडाला चैनल बन गए है ...????...क्या आपको याद आ रहा है किसी चैनल ने मारडाला से इतर इस मझदार में वैकल्पिक राह तलाशने की बहस या सौर उर्जा -साइकिल सवारी जैसे वैकल्पिक उपायों के चुनाव के एस.एम्.एस.न्योते हो ....???
दरसल तेल मालिश के शोकिनों को न्योतने की होड में हम ये क्यों भूल गए कि तेल हमारी दुखती रग है और आगे भी रहेगी ..क्योंकि हम.. ऋण कृत्वा तेलम पिवेत की कालिदासी धुन में ही मस्त है ...????...बढ़ी कीमतों के बहाने ही सही पर वैकल्पिक उपायों पर चिंता जरुरी है ...बहसे इन उपायों पर केंद्रित होनी चाहिए..न की विलापो पर ....!!!! तेल की चिंता सिर्फ मंहगाई के कारन नहीं वरन राष्ट्रीय स्वाभिमान के कारन ज्यादा जरुरी है ...यह तेल ही है जो हमें अरब देशों के संदर्भ में हमे हिचकियाँ ला देता है ...!!! आज तेल पर अरब देशों पर हमारी निर्भरता के नुकसानों के प्रति जनता -जनार्दन को जगाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए न की मार डाला का रुदन वरना इतिहास हमें माफ नहीं करेगा ....!!!!..जन-मन को चुनावी वैतरणी का तिनका न बनाये .. अरब वेसाखियो को तजने का राष्ट्रीय तराना बनाए .... यही सच्ची टी.आर.पी. होगी ..!!!
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