Saturday, January 28, 2012

ऋतुराज

आज से  ऋतु राज का शुभागमन  है ...!!!वसंत पंचमी से कई  अंगडाई पर उतारू हों जायेंगे ...तो कई डंडों को तेल पिलाने में पिल पड़ेंगे ...तो कैयक प्रेसनोट की  तैयारियों में कलम तेज करने में मग्न हों जायँगे...???...बेचारे प्रेमियों की खातिरदारी में   बल तेनाती की  कवायदें होंगी ..टीवी चैनलों के स्ट्रिंग ऑपरेशन की उलटी गिनती चालू हों चुकी होगी ...!!!इधर  दीवानों ने भी शेरो  शायरी और फ्रेंड्स को मनाने के एस.एम्.एस के पैकेज से आश्की का पैग चढ़ाना शुरू कर दिया होगा तो नए -नए नेता बनने की जुगत में बलवानो ने पार्को की रैकी की दंड  बैठकों का दोर चालू  कर दिया होगा ..!!!.....जेड  श्रेणी के  ऐसे वैलकम का अंदाजा हमारे श्रंगारिक कवियों को रहता तो वे  ऋतुराज  को वानप्रस्थी ऋतु घोषित कर देते ...पर माँ शारदा के दिन के पुण्य प्रताप से कवियों ने ऋतुराज का सच्चा दर्शन अपनी  रचनाओं में  दर्शाया ...!!!
                                                                     इस दर्शन को मैकाले दूतों ने  वेलेंटाइन डे की चाशनीमे बाजारू बनाकर सारा गुड गोबर कर दिया ..वर्ना गीत -गोविन्द ,मेघदूतम ...खजुराहो   के देश में प्रेम को लेकर पंगेबाजी के  हुडदंग  की गुंजाइश ही कहा बचती है ...???...
                                              क्या  टी.आर.पी. वाले ऋतुराज को शान्ति से जीने देंगे ...????

Sunday, January 15, 2012

मौसम-मौसम

मौसम-मौसम  लवली मौसम...फ़िल्मी गाने का ये मुखडा हर ऋतु में प्राकृतिक बदलाव को दिल से  जोड़ता रहता है !!!..अब अभी गुलमर्ग  से लेकर पूरी  घाटी ...और हिमाचल के कई स्थानों में   पारा  शून्य  से नीचे टिका है ...तो उत्तर भारत से लेकर मुंबई तक में सर्दी का दशक पुराना रिकार्ड टूट रहा है ...|....कही अलाव जल रहे है तो कही रजाई में  ठुठरन का इंतजाम हों रहा है ...कही बर्फ के गोलों से अठखेलियाँ  हों रही है ...तो कही टूरिस्ट एजेंसियों की दिवाली हों रही है ...कही चुनावी गर्मी  शीतलहर के छक्के  छुड़ा रही है ....!!!
                                                          इन चोको -छक्को के  बीच  शीतलहर से होने वाली मौतों का मातम नईसाल की शेम्पेन और   पटाखों  के शोर में बिसराया जा रहा है ....शीतलहर ही क्यों बाढ़ के  सेलाब. ...झुलसाती लू के थपेडो के बीच टूटने वाली सांसो की गिनती किसे याद रहती है ...????..हर बार हम इन्हें भुलाने के लिए कोई न कोई  त्यौहार निकाल ही लेते है ....हमारी सोसायटी भी इतनी निर्मम हों गई है  कि यदि कोई पीडितो को कम्बल ..भोजन ..दवा मुहईया करता है     तो ...आवाजें आती है देखो -देखो नेतागिरी कि तैयारी हों रही है ....??? ...आखिर ....एक ऋतु आये ..एक ऋतु जाए ... मौसम बदले न बदले नसीब ....का गाना  कब तक बजता रहेगा ...???

Sunday, January 1, 2012

अलविदा -खाँसी

       अपना छुटका आजकल बार -बार ...अलविदा खाँसी ...अलविदा खाँसी ..गुनगुना  रहा है .....!!!    वैद्यगण खाँसी के अलग -अलग कारण और प्रकार बखानते है ...मसलन सर्दी -जुखाम की खखार भरी खाँसी... बच्चों की कुकुर खाँसी ...गांजा-प्रेमियों की रत्जगाऊ खुल्ल-खुल्ल ...आदि-आदि !!! मित्रों दादा -नानी के ज़माने में खाँसी का बड़ा आतंक था ...किसी को खाँसी यानि टीवी की शंका  जैसे आजकल गुप्त रोग यानि एड्स की जाँच का लफड़ा ... इस चक्कर में अच्छे -अच्छे खाँसीधारी...खाँसी को जनरल बताने का स्वांगीकरण करते थे !!!
                                                 प्यारो यह स्वांग अभी भी रचाया जा रहा है ...पूरे देश में खुल्ल -खुल्ल   मची है और जनरल इसे जनरल बता रहे है ...???....बीमारी उन्मूलन का आल्हाकरण हों रहा है ...इसे बीती साल की बीती बात बता कर ...बीती  ताहि विसार दे  दे आगे की सुध लेने की खुराक में तब्दील किया जा रहा है !!!...आप खाँसी से निढ़ाल होते रहो आपकी मर्जी ..आपकी खुल्ल-खुल्ल को लेकर किला लड़ाने वाले  भूखे बीमार पड़े उनकी मर्जी ...मर्ज को भूल कर नया साल मनाकर वेवकूफ बनो ये जनरल की मर्जी ....!!!...अलविदाई के दौर में क्या सचमुच खाँसी विदा हों गई है ,,,,,???