Sunday, January 1, 2012

अलविदा -खाँसी

       अपना छुटका आजकल बार -बार ...अलविदा खाँसी ...अलविदा खाँसी ..गुनगुना  रहा है .....!!!    वैद्यगण खाँसी के अलग -अलग कारण और प्रकार बखानते है ...मसलन सर्दी -जुखाम की खखार भरी खाँसी... बच्चों की कुकुर खाँसी ...गांजा-प्रेमियों की रत्जगाऊ खुल्ल-खुल्ल ...आदि-आदि !!! मित्रों दादा -नानी के ज़माने में खाँसी का बड़ा आतंक था ...किसी को खाँसी यानि टीवी की शंका  जैसे आजकल गुप्त रोग यानि एड्स की जाँच का लफड़ा ... इस चक्कर में अच्छे -अच्छे खाँसीधारी...खाँसी को जनरल बताने का स्वांगीकरण करते थे !!!
                                                 प्यारो यह स्वांग अभी भी रचाया जा रहा है ...पूरे देश में खुल्ल -खुल्ल   मची है और जनरल इसे जनरल बता रहे है ...???....बीमारी उन्मूलन का आल्हाकरण हों रहा है ...इसे बीती साल की बीती बात बता कर ...बीती  ताहि विसार दे  दे आगे की सुध लेने की खुराक में तब्दील किया जा रहा है !!!...आप खाँसी से निढ़ाल होते रहो आपकी मर्जी ..आपकी खुल्ल-खुल्ल को लेकर किला लड़ाने वाले  भूखे बीमार पड़े उनकी मर्जी ...मर्ज को भूल कर नया साल मनाकर वेवकूफ बनो ये जनरल की मर्जी ....!!!...अलविदाई के दौर में क्या सचमुच खाँसी विदा हों गई है ,,,,,??? 

1 comment:

  1. ये दौर हर फ़िक्र को धुएँ में उडाने का है गुरु,सच का सामना सिर्फ व्यापार है ....इसलिए आप तो अपनी मस्ती में मस्त रहिये /

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