Friday, December 16, 2011

दाऊ और डाऊ

सेकंड डिविज न में बांदरी हाई  स्कूल से मेट्रिक परीक्षा पास करने के बाद पी.ई.टी. बगेरह में फ़ैल होने के बाद बापू ने आख़िरकार सागर  विश्वविद्यालय सागर में दाखिले का हुक्म दिया ....आमीन कहते हुए बंदा यू.टी.डी एस.बी.आई. ब्रांच से  प्रवेश फॉर्म  लेने लाइन में लग गया ...और धक्का-मुक्की में   लंचटाइम  तक फॉर्म नसीब नहीं हुआ...इस बीच कुछ हट्टे -कट्टे  बाँके आये और ...को का के रवो ...का नारा लगते हुए विजयी-मुद्रा  में  फॉर्म लहराते हुए बैंक बाबू को ...बड्डे -जय राम ..कहते हुए फुर्र हो गए ....!!!!...सकपकाते हुए मेने  लाइन के  साथी ,जो सुबह से अब तक लगभग मेरा रिश्तेदार बन चूका था ,से पूछा भईया ये रणबांकुरे कौन थे ...???....गुरु जे इते के  दाऊ आंए...को का के रवो ....???...मेने भी दाउगिरी दिखाते हुए दहाड़ मारी.. को का के रवो ..और फॉर्म मेरे हाथों में शोभायमान हो गया ....दाउगिरी  का ये पहला नमूना अपने सामने आया था ...!!!
                                                      स्टूडेंट  लाइफ के दौरान ही पता चला की कुछ दरबारी अपने नेताओं को दाऊ बोलते है तो परिवार - गांव-मुहल्लो में भी बड़े भाई या बुजुर्गो को भी दिल से दाऊ पुकारा  जाता है ..... अलबत्ता     अमरीका जैसे देश भी   अपनी डिक्शनरी में इस दबंग शब्द को ठूंस रहे है ....यह दीगर बात है कि वो इसे डाऊ पुकारते है ...!!!!....शब्द कि महिमा देखिये ..डाऊ ..दाऊ  बनकर लन्दन ओलोम्पिक के सीने पर चडकर  अट्टहास कर रहा है ...को का के  रवो ......भोपाल गैस कांड पीडतों .. सभी  हिंदुस्तानियों को चिढाता हुआ ..अंतररास्ट्रीय ओलंपिक संघ से कह  रहा है ...बड्डे जय राम ...!!!..   दाऊ गिरी के इस नवीनतम नमूने के आगे हम सब  दण्डवत हो कर सिर्फ    राम नाम सत्य करने में  ही जुटे है .....????

No comments:

Post a Comment