Thursday, December 22, 2011

मन की जीत

...तोरा मन दर्पण कहलाये ...भले बुरे सारे कर्मो को देखे और दिखाये....!!! फेसबुक पर नाना प्रकार के वायरस की मारी फोटुओं को लेकर फू-फू करने वालो ने सायद इस गाने को याद रखा होता ...तो उन्हें परम शांति मिलती ..???...खुद का मन जब खुद का नहीं हुआ तो आपके फेस बुक अकाउंट का कैसे होता ?? दुनिया में सभी बड़े बुजुर्गो से लेकर तमाम धर्मो ने मन की ही तो चिंता की है ....क्योकि मन है की मानता ही नहीं है ...!!!...फेसबुक की ललचाती गुगली को देख कर   मन डोला    और  गुगली को छुआ नहीं  कि चारों और मित्रों की सीटियाँ ऐसे  बजने लगी जैसे युवराज ने छक्का मारा हों .... खुद की वाल पर मित्रों कि   सचित्र आह -वाह देखकर जब तक सर चकराता तब तक तो गुगली गिल्लिया उड़ा चुकीथी ...!!!....अपुन समेत बहुतेरे इस चितवन को  देखकर ..ठगा सा महसूस कर रहे है  ... ???
                                                       ऐसी ही सजा के  शिकार वो भी होते है जो ..दबी जुबां से सिक्रेट्स बताते हुए सम्पुट देते है ..ये बात किसी को न बताना और वह बात खुद को छोडकर सबकी जुबान  पर तेरनी लगती है ...???   मित्रों मन है ही ऐसी  बला की जहा रोका की वहीं धोका ..  .. पीले कवर की किताबे ...लेट नाइट टीवी सीरियल ...मोबाइलों में विहंगम किल्पे ...पेन -ड्राइव  में पोर्न डाइविंग ...परीक्षा  में मुन्ना गिरी ...जैसी विचित्र किन्तु सत्य कथाएँ  मन पर जबरिया कब्जे की उपज है ..........तात अपने ही मन को ठगने की यही खता है ....!!!

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