बरसों पहले आई ...राजकपूर -नर्गिस की फिल्म आग को अब तक दर्शक नहीं भूले हैं..........!!!! भला आग को कैसे भुलाया जा सकता है ....आखिरकार चकमक का आविष्कार आपला मानुष के पहले -पहल की खोजो में से एक जो है ..!..वैसे आग बला की चीज है ..दूर जाओ तो चैन नहीं ..पास रखो तो खैर नहीं ..लेकिन खैरियत आग बिना भी नहीं है ..! शोकीन लोग तो बीडी -सिगरेट में आग सुलगाने से खेरियत जानने की रस्म सुरु करते है ..तो कुछ टंटे निपट|ने के लिए स्वाहा आदि के लिए अग्नि शरणम गच्छामि उवाच करते है ,,!!!!...हॉल ही की.. अथ मुम्बई-दिल्ली वी.आई.पी .स्थली आग गाथा ...चेनलो में बरसी हुई है ...परन्तु लाक्षागृह की प्रथा तो महाभारतकालीन से प्रचलित है ..हां ये दीगर बात है की आजादी के बाद से बहुतेरी सासूजी-ननद जी को आग से बड़ी आत्मीयता व्याप्त हुई है ..जिसका प्रकटीकरण उनकी ही जगह माँ -वहनो को झुलसाता रहता है ..!!....अपने यहाँ यह प्राकट्य चूल्हे -स्टोव -लालटेन आदि से सिर्फ वधूओं के पल्लू से ही होता है ..??? आग के पल्लू का दूसरा पहलु भी किचिन से जुडा हुआ है ..महगाई डायन की आग चुल्हों को ठंडा कर रही है ....लकड़ी की आग जंगलो को सिमटा रही है तो पेट की आग सबको नतमस्तक किये हुए है ...जहाँ देखो आग ही आग ....???? ...ये आग कहा ले जायेगी ....???? Sunday, June 24, 2012
आग........
बरसों पहले आई ...राजकपूर -नर्गिस की फिल्म आग को अब तक दर्शक नहीं भूले हैं..........!!!! भला आग को कैसे भुलाया जा सकता है ....आखिरकार चकमक का आविष्कार आपला मानुष के पहले -पहल की खोजो में से एक जो है ..!..वैसे आग बला की चीज है ..दूर जाओ तो चैन नहीं ..पास रखो तो खैर नहीं ..लेकिन खैरियत आग बिना भी नहीं है ..! शोकीन लोग तो बीडी -सिगरेट में आग सुलगाने से खेरियत जानने की रस्म सुरु करते है ..तो कुछ टंटे निपट|ने के लिए स्वाहा आदि के लिए अग्नि शरणम गच्छामि उवाच करते है ,,!!!!...हॉल ही की.. अथ मुम्बई-दिल्ली वी.आई.पी .स्थली आग गाथा ...चेनलो में बरसी हुई है ...परन्तु लाक्षागृह की प्रथा तो महाभारतकालीन से प्रचलित है ..हां ये दीगर बात है की आजादी के बाद से बहुतेरी सासूजी-ननद जी को आग से बड़ी आत्मीयता व्याप्त हुई है ..जिसका प्रकटीकरण उनकी ही जगह माँ -वहनो को झुलसाता रहता है ..!!....अपने यहाँ यह प्राकट्य चूल्हे -स्टोव -लालटेन आदि से सिर्फ वधूओं के पल्लू से ही होता है ..??? आग के पल्लू का दूसरा पहलु भी किचिन से जुडा हुआ है ..महगाई डायन की आग चुल्हों को ठंडा कर रही है ....लकड़ी की आग जंगलो को सिमटा रही है तो पेट की आग सबको नतमस्तक किये हुए है ...जहाँ देखो आग ही आग ....???? ...ये आग कहा ले जायेगी ....????
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