Sunday, July 1, 2012

अपना घर -अपने लोग


     मित्रों ..प्रिय साथी भाई राकेश कोरव ने महाभारतकालीन भारत वर्ष के नक्शे की यह तस्वीर भेज कर एक बार फिर हमारी गौरवमयी गाथा को ताजा तरीन कर दिया है ..!!..गौर से देखिये हम कहा-से कहा आ गए .....अपने लोग कहा  है ...!!!.उतर-पश्चिमी सीमांत क्षेत्र  में तालिबानियों ने संगीतकारों को कुचलने की मुहीम में औरंगजेब को भी मात दे दी है ...बेटियों को स्कूल जाने की मनाही कर दी गई है ..???...थोड़ासा अंदर की ओर आइये.... क्वेटा-पेशावर...चारो तरफ  ड्रोन हमलों -फिदायीन मार का तांडव मचा हुआ है ...???..सिंध में बलात धर्मान्तरण -अपहरण की कराह सुनाई दे रही है ...???..नीचे करांची में  मुहाजिरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है ...???...वतन की मिटटी की महक कभी मुसर्रफ को दिल्ली लाती  है ..कभी विदेश मंत्री हिना को अपने जाट पूर्वजों के गांव बुलाती है ...तो हमारे दिलीप कुमार ...गुजराल साहब .. ..को भी पूर्वजों की  पाक गलियों की खुसबू आती है ...???...याद सिर्फ चुनिन्दा  नामचीन शख्सियतों भर को नहीं आती ..ऐसे तमाम वासिंदे दोनों तरफ है जो पल-पल अपने  घर -अपने लोगो को याद करते रहते है ...बस इनकी यादेँमीडिया की चकाचोंध से दूर दिल की गहराईयों में गोते लगाती रहती है ..???..इधर पूर्वी बंगाल में चटगाँव से लेकर ढांका तक उस मिटटी में गरीबी पसरी हुई है जिसे लार्ड क्लाएव और उसके गुर्गो ने अमीरी के लिए मुफीद माना था ..तस्लीमा नसरीन से लेकर ज्योति बाबू तक अपना घर -अपने लोगो को नहीं भूल पाए है ...???
                                                अपना घर -अपने लोग ..के   दर्द को न जाने कितने लोग आज भी जी रहे है ...इनका दर्द जात-पाँत -धर्म -वर्ग से दूर माटी  का दर्द है ...जहां-जहां भी ब्विदेशी साम्राज्यवादी ताकतो  ने अपने मंसूबो को पूरा करने के लिए देशों को सरहदों में बाँटा है ...वहाँ सरहदी दूरियाँ भले ही कायम हो पर अपना घर -अपने लोग की कसक दूरियाँ मिटाने बेताब है ....ये बेताबी कब तक ...????

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