Monday, July 9, 2012

अंतरात्मा-परमात्मा

किसी बुजुर्ग ने सही फरमाया है कि झगड़े -झांसे से बचाने के लिए अपनी आत्मा कि आवाज सुनो और आगे बढ़ो ...!!!...बुजुर्गो कि तो वे ही जाने पर आजकल लोग बड़े स्मार्ट हो गए है ..अपने -अपने मन की करने के बाद उब कर बच निकलने के लिए आत्मा की आवाज नमक पतली गली से सरक निकलते है ...???..अब देखो न अभी झारखंड राज्यसभा चुनावो में आत्मा की आवाज ने बड़े -बडो की बोलती बंद कर दी ....यही आवाज आजकल जोर से बोल रही है ..खामोश ..!!!...वैसे हमारे यहाँ आम चुनावो में भाई लोग भले ही चुनाव चिन्हों पर वोट मांगते हो पर अप्रतक्ष्य वोटिंग के समय विक्रम -वेताल की माफिक आत्माओं का आह्वान सुरु हो जाता है...????
                                                                 आह्वान की आहुति में हव्य के रूप में नाना प्रकार के द्रव्यों के दिव्य दर्शन भाई लोग बड़े चाव से न केवल करते है बल्कि भोग भी लगाते है ..????..कुछ भोगियों को माननीय अदालतों की कृपा से हम सब ने देखा भी है ...पर आत्मा तो सब को देख रही है ..!!!...आत्मा परमात्मा जेसे दार्शनिक विषय को लेकर चालू चकमक की कल्पना तो बिचारे प्राचीन मीमांसकों ने भी नहीं की होगी वरना  द्वैतवाद- अदेवतवाद -स्याद्वाद के झगडे ही नही होते ..???..यदि ये यज्ञाचार्य प्राचीन काल में प्रकट होते तो अश्वमेघ यज्ञ इत्यादी को अंतरात्मा की आवाज पर चुटकियो में ही निपटा देते ..!!! ...मित्रों निपटाने की प्रक्रिया में कही आत्मा की आड़ में अंतरात्मा ही न निपट जाए ....!!!.. दोस्तों निपटा -निपटी का समुद्र मंथन विकट है ..पर दूर नहीं है ...घुघट के पट खोल रे तो को पिया मिलेंगे...२१ जुलाई तक राज... राज..रहेगा क्या ..????

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