Wednesday, November 2, 2011

डर

                     मैं कोई ४-५ साल का था ...रेडियो पर झूट बोले कौ़या बज रहा था ...पूज्य पिता श्री दोपहर निद्रा में थे ....उनकी बनियान के धागे को मैं शरारत से खीचनें की जुगत में था ....अचानक  बापू जी ने करवट ली .. मैं झापड़ के डर से चड्डी गीली करता हुआ वहीँ चित्त  हो गया !!!.  .डर की इसी अलोकिक महिमा से इन दिनों अच्छे-अच्छे  ख़ामो-खा पूरे बदन को  गीला कर -कर गश्त खा रहे है !!!.. गश्त खाए मानुष के ऊपर पानी के छींटे डालने पर वह आंय-बाँय करके उठने की दम भरता है ...  आजकल ऐसी ही डर प्रतापी  फू -फा खूब सुनाई दे रही है ..छपने -छापने- लाइव कवरेज-ट्विट का धन्दा डरने - डराने की थीम पर ही टिका है  !!!
                                                ...       ..  किसको -किसका -कितना डर ...हारने का डर तो जीत छिनने का डर ..टिके रहने का डर तो निपटने का डर ...ये दुनिया बड़ी डरावनी हो गई है ..अब हारर फिल्म को भूतो की जरुरत ही नहीं है ...इक्कसवी सदी के चमत्कार ने इंसान कोभूतो से भी ऊपर उठा दिया है ....गैसकांड की महिमा से तो भूत तक डरे है ..पता नहीं किसका मुआवजा घट जाए  ..???..घबराईये नहीं ये  डर  .ओबामा. -से लेकर मुसर्रफ  तक को पानी पिला रहा है ...!!!चाहे महाभारत हो या पानीपत की लड़ाईयां ..विश्वयुध्ह..इराक -लीबिया का पतन हो ..या हमारे यहाँ के रामलीला मैदान की उठापटक और उसके बाद का गुबार हो सब एक ही मर्ज के मारे है....हमको भी डर ने मारा तुमको भी डर   ने मारा ..इस  डर को मार डालो ..???

1 comment:

  1. ...हमको भी डर ने मारा तुमको भी डर ने मारा ..इस डर को मार डालो ..???

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