Sunday, November 6, 2011

देवउठनी एकादशी

आज फिर पटाके फूट रहे है ...दिए झिलमिला रहे है ..खील-बताशे बांटे जा रहे है ..भई..देव जो उठ गए है !!!...नास्तिक टिप्पणियाँ करते फिरते है कि क्या देव सो रहे थे ??? अज्ञानियों...    देव तो सर्व जागृत है ...बस वर्षाकाल  के चौमासे में सनातन काल से परिणयसूत्र अवरुद्ध होने की स्थिति , संतो के आवागमन की कठिनता एवं भक्तो की सुविधा  के कारन देव शयन की महिमा प्रभु की कृपालुता का ऐसा अनूठा उदहारण है जो सनातन परम्परा में भक्तो की विराटता के दर्शन कराता है !!!...प्रभु के समक्ष भक्तो की इसी विराटता से आज भी सनातनीहजारों सालो की चुनोतियो को पार कर सनातनी है और आगे भी अमर रहेगे !!!..शबरी के बेर ,अर्जुन का रथ ,मीरा का यश ...जैसे अनगिनत प्रशंग भक्तो के प्रति भगवन के वात्सल्य अवतार को व्यक्त करते है ...और देवशयनी से देवउठनी ग्यारस की लीला प्रभु की पालनहारी छवि का दर्शन कराती है !
                                               इस लीला के बीच आसुरी प्रवित्तयो ने खूब तमाशा किया ....रामलीला मैदान को लाक्षागृह बनाने की कोशिश हो ....हिंद महासागर में हमें घेरने की कवायद हो ...पूर्वोत्तर की नाकेबंदी हो ....महगाई डायनडांस हो ...जेल में चाय पिलाने और हाथ तोड़ने का पराक्रम हो ...लादेन जी के महिमामंडन और सनातनियों  के भंजन का  उवाच हो ...या तेल के दामो से भक्तो के तेल निकालने तरकीब हो ...चौमासे में खूब तांडव हुआ !!!...देव उठ गए है ...कुमारी-कुमारों..के अरमान मचले है ..बरातियों की अच्कनो पर इस्त्री घूमने लगी है..इस बीच .. क्या असुरों को प्रभु सुर देंगे वरना बाराती गायेंगे हमको भी गम ने मारा तुमको भी गम ने मारा इस गम को मार डालो ...!!!

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