मित्रों ,बीते सप्ताह अपने यहाँ रावण दहन की धूम रही | इधर रावण का पुतला फूँका..उधर रा. वन का इन्तजार...रावण फिल्म से यहाँ ससुर साब भले दुखी हुए हो ..पर मणिरत्नम जी को दक्षिण में निराशा नहीं लगी...लेकिन रावण -दहन के बाद भी आज उत्तरी श्री लंका में निराशा व्याप्त है ??? आज दशहरा की सनातन परम्परा पर हमारे तमिल श्री लंका में कैसे है ...कितनो को इसकी फिक्र है ??? कहाँ गए वे लोग ..जो .. सनातनियो की दुहाई देकर अरसे से चमक रहे है ...!!!माना कि लिट्टे ने उपद्रव किया पर क्या उससे श्रीलंकाई तमिलों का उत्पीड़न चलता रहेगा ....!!!इनके उत्पीडन को लेकर सदन में चिंता भी हुई पर ये जनसामान्य की चिंता का विषय कब बनेगा ...हम पुतले ही फूंकते रहेंगे ..और रावण की लंका में मानवता राख होती रहेगी !!! मानव अधिकार संगठन से लेकर लिपस्टिक के कलर तक की जुगाली करने वाली चैनली दुनिया कब तक शतुरमुर्ग बनी रहेगी ...?क्या दशहरा की गूंज में रावण की लंका के तमिलों की कराह दब जायेगी ????..रावण -दहन का मतलब घोडे बेच कर सोना तो नहीं है ....!!!
No comments:
Post a Comment