Saturday, October 15, 2011

कश्मीर-कश्मीर खेले

यह सप्ताहांत बड़ा ही रोमांचक रहा ...अंग्रेजों को पदाने की कसक भी पूरी कर ली गई  ....हिसार की हसरते भी पूरी होने को है ...हाथ धुलाई कार्यक्रम भी सबने बड़े चाव से देखा ...!!!..इस धुलाई से तबियत भी हरी हुई और जख्म भी ...???  तबियत की चिंता तो कानून करेगा लेकिन जख्मो की चिंता किसे है ...? क्या  कल्हण ने राजतरंगिणी लिखते  समय इसकी कल्पना की  होगी,क्या कारगिल के शहीदों ने गोली खाते समय ये सोचा होगा ,क्या कश्मीरीपंडितो  ने घाटी छोड़ते समय इस दिन की कल्पना की होगी ...और तो और क्या किसी पाकिस्तानी ने हमारी आजादी के बाद हमारे ही देशवासी के मुखारविंद से ऐसे उदगार की कल्पना की होगी ...???
                             कल ही एक चैनल पर ज्ञान बघारा जा रहा था की जख्मो की चर्चा न करके हम सिर्फ हाथ धुलाई की चर्चा ही    करे ...तो भई नक्सली खून से धुलाई करते आ रहे है ...दादा लोग जगह -जगह हाथ धुलाईऔर सफाई करते आ रहे है ...तब क्यों नहीं भाई लोग कल्पे ... चर्चा ही नहीं धुलाई करने वालो का पूरा  क़ानूनी इंतजाम होना चाहिए और कानून इंतजाम करेगा भी ...पर जख्मो की चिंता हमने नहीं की तो कश्मीर के पाकिस्तानी एजेंडे को ही बल मिलेगा !!! कश्मीर अकेला कश्मीर ही नहीं वरन हमारे देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सरहद भी है ..!!! कश्मीर से फौज हटाने के बाद जो पाकिस्तानी  परस्त आतंकवादी घाटी में तांडव कर रहे है वे फिर मैदान में उतर आयेगें...और फिर आप कहेंगे मैदान से भी फौज हटा लो और जहाँ से आपकी दुकानदारी चल रही है वहाँ भी जनमत करा लिया जाये ???...इन लालबुझक्कड़ लाल को न कश्मीरी पंडितो के घावों की फिक्र है ना फौज के बलिदान की और ना ही उस संस्कृति की जिसके चलते आज भी आम कश्मीरी अपने हिन्दुस्तानी पूर्वजो की याद में भट्ट को बट,वेद को बेग कहता-लिखता है और कोई आतंकवादी हमारी इस पहचान को नहीं मिटा पाया ???..अफ़सोस विभीषण के पूर्वज अभी भी कश्मीर -कश्मीर खेल रहे है ...और हम देख रहे हैं..????

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