देश का बुन्देलखंण्ड क्षेत्र म . प्र . और उ. प्र . राज्यों में समान रूप से समाहित है |बुंदेलखंड की आवो हवा , पानी , रिश्तेदारिया , भाशा -बोली ,दिनचर्या , जीवन -मरण जैसी समस्त जीवन शैली दोनों राज्यों में किसी हदबंदी की मुहताज नहीं है | इसी कारन से बुंदेलखंड की विभूतिया न केवल म.प्र. -उ. प्र. बल्कि देश-विदेश में भारत माता का नाम रोशन कर रही है | धार्मिक ,साहित्यिक , राजनेतिक ,शिक्षा - समाजसेवा सहित कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहा बुन्देलखण्ड का योगदान न हो ....| संत गणे, श प्र साद जी वरनी ऐसे ही जैन संत थे आज ही की तिथि -गणेश चतुर्थी पर ,..जिनका जन्म तो उ.प्र. के बुन्देली ललितपुर जिले सनातनी परिवार में हुआ था परन्तु पिता से प्राप्त न्मोकर मंत्र की महिमा से वह माँ-पत्नी के मोह से मुक्त होकर जैनाचार्य के रूप में अमर होगए ...| म.प्र. के बुन्देली शहर सागर में मोरा जी का वरनी विद्यालय हो या उ.प्र. के बुन्देली जिले झाँसी के बरुआ सागर का वरनी गुरुकुल हो ....वरनी जी का पुण्य प्रताप आज सब जगह व्याप्त है ...|....अकेले वरनी जी ही नहीं झाँसी की रानी की शहादत ... क्षत्रसाल जी की वीरता ...का इतिहास हो या टीकमगढ़ की उमा जी , छतरपुर के सत्य्वृत जी, ललितपुर के मदन लाल खुराना जी.. सहित राजनेता हो या सागर जिले के खुरई तहसील के ग्राम बिलईया निवासी वर्ल्ड हु इज हु में १९६५ से शामिल अंतर राष्टीय संस्कृत विदवान डॉ. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी वागीश शास्त्री जी हो ...इनके साथ-साथ अन्य विभूतिया भी बुंदेलखंड को गौरवान्वित कर रही है !!! इन के सपनो को साकार करने के लिए हम सभी बुन्देल्खंडियो को क्षेत्र -प्रदेश -देश का नाम उठाने के लिए आगे आना होगा तभी हमपितृ पक्ष की चतुर्थी पर सच्चा तर्पण कर पायेगे ....!!!जय बुंदेलखंड ...जय भारत !!!वन्देमातरम !!!
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