मित्रो बरसो पहले बुद्धू बक्से पर एक प्रोग्राम आता था ...कहा गये वो लोग ....??? अब हम पित्र पक्ष पर कौए तलाश रहे है ...और कौए है की नजर ही नहीं आ रहे !!!!पंडित व्याकुल है कही पित्र तो नाराज नहीं हो गए ....कही श्राप तो नहीं लग रहा ....!!!..कौये कही एकांत में अकेलेपन से सुबक रहे है ...अकेले कौए ही क्यों जटायु -सम्पाती की आत्मा भी अपनों की दुर्दशा से बिलख रही है !!! प्यारे ..हमने रातो रात फल -सब्जी -चारा -अनाज की बम्पर पेदावारी के चक्कर में लोक -परलोक दोनों का सत्यानाश कर कर लिया है ....ऐसे में पित्र क्या खाक खुश होंगे ??? हम तो जहर की पुडिया लेकर चूहों के पीछे रेस करते रहते है ...गोउ माता से दूध की बाल्टिया भरने के लिए उन्हें इन्जेकसन से छेदते रहते है ...मच्छरो को लेकर खुद के ... गाल पर ही तमाचा मारते फिरते है !!! कालीदास बनकर टहनी काटने में जुटे है ....और शंका समाधान के नाम पर जड़ो की जगह पत्तो को सींच रहे है ...!!!धन्य है प्रभु ...पित्र पक्ष में खुद को कोसने की जगह निरीह कौयो को दौड़ा रहे है ...??? सप्तमी तिथि ....आज क्या हम सुधरेंगे ???
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