Monday, September 26, 2011

श्राद्ध पक्ष का संकल्प

हे प्रभु,श्राद्धपक्ष पूर्णता पर है ...न जाने पित्र क्या सोच रहे होंगे ???पता नहीं तृप्ति हुई या नहीं ...???मन में बड़ी व्याकुलता है ...!!!बेचेनी,व्यग्रता ...सारे पर्यायवाची जी में धुकधुकी किये है ....|अब यदि श्राद्ध पर्व में निंदा रसपान छोडाहोता ,सोमपान त्यागा होता ,इर्षाकी ज्वाला बुझाई होती ,बिन्दाश चेनल ऑफ किये होते ,मोर्निंग वाक में धर्मानि को ले गया होता ,दान के साथ धन पिपासा भी दान की होती ,नौकरी की उखाड- पछाड का चूल्हा न जलाया होता ....तो मनवा ऐसा बुझा-बुझा ना रहता |...अब आप ही बताओ स्वामी ..क्या करे???घर में वैसे भी अकेला हू ...बेटा -बहु पूना गए कमाने ...हम पड़े कर्मो के फल चुकाने !!!काश ..बेटी होती तो ससुराल से रोज माँ की खांसी का हाल तो पूछती ...बहु तो ये पता करतीहै की पडोसी ने मकान का किराया खाते में डाला या नहीं !!!...पर इस दुर्दशा की सास  भी कम दोषी नहीं है ...हनीमून के बाद से ही गुनियो के चक्कर काटतीथी ...बस लड़का आ जाए ..तो पुरखो को पानी मिलता रहेगा ....!!!धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ...लड़का होकर भी पितरो को धूर्तता से तृप्त नहीं कर पाया ...और खुद का लड़का माँ -बाप को पूना से ही पानी दे रहा है ...!!!परम पिता अब क्या करू ...???...तात्.. पित्र पक्ष में रोओं नहीं ...उठो और संकल्प करो की पितरो को पानी के नाम पर अजन्मी बेटियों को नहीं मारोगे..वरन बेटियो को बचा कर बढ़ा कर ...पितरो को तृप्त करोगे !!! हमारी संस्कृति में पितरो को सदैव बेटियां ही प्यारी रही है इसलिए पितर पक्ष के बाद नवरात्री पूजन हमारे पूर्वज करते आये है !!!जय लाडली -जय बेटी !!!

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